मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग ने प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता मामले को लेकर, जबलपुर हाईकोर्ट में फिर मंगा दो दिन का समय

प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता के संबंध में मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग गंभीरता पूर्वक कार्रवाई करते हुए संपूर्ण दस्तावेजों को जांच परख कर ही कार्रवाई की गई थी

परंतु जब माननीय न्यायालय ने संपूर्ण दस्तावेज जो शासन के द्वारा की गई कार्रवाई से संबंधित थे माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु समय दिया था और पर्याप्त समय दिया था
तो उसके उपरांत आज की सुनवाई में शासन द्वारा समय मांगन मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन के संदिग्ध क्रियाकलापों में भ्रष्टाचार को उजागर करता प्रतीत होता है
स्पष्ट जाहिर है कि जब विभाग द्वारा किसी एक महाविद्यालय की मान्यता निरस्त करते हैं तो विभाग बारीक से बारीक महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण बिंदुओं एवं दस्तावेजों को पूर्ण रूप से अवलोकन करते हैं और संलग्न करते हैं उसके उपरांत ही कार्रवाई करते हैं या फिर द्वेषपूर्ण भावना से आधे अधूरे दस्तावेजों पर कार्रवाई करते हैं
यह सिद्ध होता है जब आपने कार्रवाई की थी तो दस्तावेज गये कहाँ जब प्रियदर्शनी कॉलेज की मान्यता रद्द की थी तो आपने वह दस्तावेज ही तो प्रस्तुत करने थे अब अपनी की गई भ्रष्टाचार युक्त कमियों सहित संबद्धता शाखा प्रभारियों को बचाने के लिए माननीय न्यायालय से रिक्वेस्ट कर 2-दिन का समय मांगा जा रहा है
जबकि प्रियदर्शनी कॉलेज प्रबंधन द्वारा समस्त दस्तावेज माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष आदेश अनुसार प्रस्तुत कर दिए गए तो जब जो संस्था स्वयं प्रस्तुत कर रही है
तो शासन ने जब कार्रवाई की है तो उन्होंने क्यों प्रस्तुत नहीं किया कहीं विभागीय भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने की कवायद तो नहीं है प्रतीत तो यही होता है क्योंकि वर्तमान कार्यकलाप भ्रष्टाचार से युक्त ही प्रतीत हो रहे हैं। अब देखना यह की अगली डेट में न्यायालय क्या आदेश देता है