विधायक विवेक पटेल के प्रश्न क्रमांक 505 के उत्तर में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय प्रबंधन के नियम विरुद्ध कृत्य सहित छात्रहित से खिलवाड़ उजागर

मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र में विधान सभा सदस्य विधायक विवेक विक्की पटेल द्वारा प्रश्न क्रमांक 505 महर्षि महेश योगी वैदिक

विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों के संचालन , शुल्क निर्धारण संबंधी एवं अन्य के संदर्भ में लगाया गया जिसके उत्तर में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन के माध्यम से उत्तर को माननीय मंत्री उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार जी द्वारा जब सदन में पटल पर रखा गया।

पटलित उत्तर में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जो मनगढ़ंत भ्रामक एवं गुमराह पूर्वक जानकारी सदन को गुमराह करते हुए पटल पर रखी गई ऐसा प्रतीत होता है जैसे विश्वविद्यालय से प्राप्त मनगढ़ंत /फर्जी/ गुमराह पूर्वक दस्तावेजों को उच्च शिक्षा विभाग के सक्षम अधिकारी द्वारा गंभीरता पूर्वक पढ़ा ही नहीं गया क्योंकि उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन में पदस्थ धीरेन्द्र शुक्ला ,अजय अग्रवाल के हस्ताक्षर से महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की शुल्क निर्धारण किया गया एवं आर के गोस्वामी और पूर्व आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग ने भी पत्र जारी किये हैं लेकिन जानकारी सदन में प्रस्तुत करने हेतु खोजी जा रही है, तथा जिस अधिनियम / परिनियम के अंतर्गत पाठ्यक्रमों के संचालन की जानकारी सदन को दी गई उसमें केवल, योग ,ज्योतिष अगम तंत्र ,वेद, संस्कृत आदि पाठ्यक्रम संचालित करने हेतु ही उल्लेख है परंतु विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा अधिनियम विरुद्ध प्रोफेशनल टेक्निकल एवं अन्य पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार टेक्निकल पाठ्यक्रमों की मान्यता एआईसीटीई द्वारा नहीं दी गई है तथा व्यावसायिक पाठ्यक्रम एवं एनसीटीई से संबंधित पाठ्यक्रमों की मान्यता भी एनसीटीई द्वारा निरस्त कर दी गई है इसके उपरांत भी विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा निरंतर प्रवेश प्रक्रिया जारी है जिससे संबंधित जानकारी सदन पर पटल पर रखी गई है। यह संपूर्ण गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए भी उच्च शिक्षा मंत्री सहित उच्च शिक्षा विभाग की वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी प्रत्यक्ष रूप से छात्रहित से खिलवाड़ करते हुए नियमों से खिलवाड़ एवं सदन की स्पष्ट अवमानना प्रतीत होती है ।आखिर क्यों और कौन संरक्षण दे रहा है इन भ्रष्टाचारियों को जो विधानसभा जैसी सर्वोच्च संस्था जिसमें पारित अधिनियमों को संपूर्ण प्रदेश की जनता कानून मानकर पालन करती है उसी सदन को ही प्रत्यक्ष रूप से गुमराह किया जा रहा है संबंधित विभाग एवं शासन प्रशासन मौन है आखिर क्यों छात्रहित खिलवाड़ एवं फर्जी अंकसूचियों के व्यवसाय एवं शिक्षा के व्यवसायीकरण को कौन रोकेगा यह एक गंभीर प्रश्न है जिस पर संज्ञान लेना विभाग के मंत्री एवं विभाग प्रमुख का प्राथमिकता से उत्तरदायित्व होना आवश्यक है।