सागर मे प्रोफेसर डॉ सरोज गुप्ता ने प्राचार्य बनने के लिए दस्तावेजों में हेर फेर कर वरिष्ठता सूची को ही बदल दिया और उच्च शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंक कर प्राचार्य का पद हासिल कर लिया।

सागर। संभागीय मुख्यालय के अग्रणी कॉलेज शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में पदस्थ हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉ सरोज गुप्ता ने प्राचार्य बनने के लिए दस्तावेजों में हेर फेर कर वरिष्ठता सूची को ही बदल दिया और उच्च शिक्षा विभाग की आंखों में धूल झोंक कर प्राचार्य का पद हासिल कर लिया। इस मामले की शिकायत उच्च स्तर पर की गई है।

प्राचार्य पद हासिल करने के बाद उनकी पहली नजर यहां के खजाने पर रही। कॉलेज की फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में 2 करोड रुपए की जमा रकम को खुर्द बुर्द करने के लिए.
उच्च शिक्षा विभाग की अनुमति लिए बगैर ही इंडियन ओवरसीज बैंक में जमा 2 करोड रुपए की FD को तुड़वाकर प्राइवेट बैंक में चालू खाते में जमा कर दी।
डॉ सरोज गुप्ता ने इन 6 महीना मे बड़े पैमाने पर इस रकम को जनभागीदारी समिति के अनुमोदन या किसी सक्षम अनुमति के बिना लाखों रुपए की खरीदी मोटे कमीशन के आधार पर कर सरकारी जमा धन को खर्च किया गया।
इस सरकारी पैसे से कई निजी कार्यक्रम और सामग्री की भी खरीदी की गई।
अनुकंपा नियुक्ति के शासन के नियम और निर्देश का दुरुपयोग कर निजी फायदा उठाते हुए डॉ सरोज गुप्ता ने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के हक का निर्ममता से गला घोंटते हुए आरक्षण नियमों तथा रोस्टर के विरुद्ध इस पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदक को नियम विरुद्ध रूप से नियुक्त कर दिया।
6 महीने की महज छोटे से कार्यकाल में मनमानी भ्रष्टाचार और घोटाले के कई बड़े कीर्तिमान हासिल कर लिए हैं जिनकी जांच उच्च स्तर से की जाने पर अन्य कई घोटालों का पर्दाफाश क्या हो सकेगा जांच का विषय है


