मध्य प्रदेश

क्या शिक्षक ही सबसे आसान निशाना हैंई-अटेंडेंस थोपने की जल्दबाजी पर उठ रहे सवाल, शिक्षकों ने कहा—पहले दूर करो खामियां फिर भरो तकनीक पर

खबर बुरहानपुर से
मध्यप्रदेश में शिक्षकों पर ई-अटेंडेंस लागू करने को लेकर प्रदेशभर में भारी आक्रोश पनप रहा है शिक्षक डरे नहीं हैं लेकिन यह जरूर पूछ रहे हैं कि क्या इस व्यवस्था को लागू करने से पहले उसकी तमाम तकनीकी और व्यवहारिक खामियों को दूर किया गया क्या इस व्यवस्था के लिए ज़रूरी बुनियादी ढांचा हर स्कूल में मौजूद है क्या दूरस्थ और आदिवासी अंचलों के उन शिक्षकों की समस्याएं किसी ने समझी जो जहां आज भी बिजली और नेटवर्क के लिए जूझ रहे हैं क्या शिक्षा विभाग को केवल प्रयोगशाला बनाकर बाकी सारे विभागों को इस निगरानी से मुक्त रखा जाएगा यह सिर्फ प्रश्न नहीं हैं बल्कि उस असंतोष की आहट है जो जल्द ही प्रदेशव्यापी आंदोलन का रूप ले सकता है उपरोक्त जानकारी देते हुए कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रांतीय संयोजक एवं संयुक्त मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष ठाकुर संतोष सिंह दीक्षित ने कहा कि

शिक्षकों ने दो टूक कहा है कि उन्हें ई-अटेंडेंस से भय नहीं है परंतु जो सिस्टम आधे अधूरे हालातों में थोपा जा रहा है वह शिक्षक की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है कई बार मोबाइल खराब हो जाता है या नेटवर्क नहीं आता या दूरस्थ इलाकों में स्कूल तक पहुंचने के बाद भी मोबाइल अनुपलब्ध होने से शिक्षक उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाते यह स्थिति उन्हें अनावश्यक रूप से अनुपस्थित घोषित कर देती है जो अपमानजनक भी है और मनोबल तोड़ने वाली भी संयुक्त मोर्चा की जिला अध्यक्ष ठाकुर संजय सिंह गहलोत ओटी डॉक्टर अशफाक खान अनिल बाविस्कर धर्मेंद्र चौक से विजेश राठौर राजेश साल्वे ठाकुर अरविंद सिंह अनिल सत्व नैमुर रहमान श्रीमती प्रमिला सगरे कल्पना पवार एवं अन्य

शिक्षकों का कहना है कि उन्हें निगरानी से आपत्ति नहीं है परंतु निगरानी के नाम पर अपमान स्वीकार नहीं किया जा सकता जब पूरे प्रदेश के अधिकांश सरकारी विभागों में बायोमेट्रिक उपस्थिति तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है तब शिक्षकों को मोबाइल एप पर आधारित उपस्थिति दर्ज करने के लिए बाध्य करना कहां तक न्यायसंगत है क्या यह मान लिया गया है कि केवल शिक्षक ही सबसे अनुशासनहीन हैं और बाकी विभागों में सब कुछ ठीक चल रहा है क्या किसी अन्य विभाग में रोज सुबह 7 या 8 बजे अपनी उपस्थिति मोबाइल से दर्ज करने की व्यवस्था है क्या किसी और कर्मचारी को नेटवर्क बिजली मोबाइल चार्जिंग जैसी समस्याओं में उलझकर अनुपस्थित मान लिया जाता है

गौर करने वाली बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस व्यवस्था को अव्यवहारिक और अमानवीय बताकर खारिज कर दिया था और भविष्य में इसे लागू न करने का वादा भी किया था लेकिन अब फिर से इसे बिना किसी व्यापक संवाद और तैयारी के लागू किया जा रहा है इससे यही प्रतीत होता है कि शिक्षकों को सबसे आसान वर्ग मान लिया गया है जिन्हें कोई भी निर्णय सुनाकर चुप कराया जा सकता है

वर्तमान स्थिति यह है कि शिक्षक समाज आक्रोशित है और प्रदेशभर में इसके खिलाफ आवाजें तेज़ हो रही हैं शिक्षक संगठनों ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार ने इसे तत्काल प्रभाव से रोका नहीं तो व्यापक आंदोलन की भूमिका बनेगी जिसकी जिम्मेदारी शासन और लोक शिक्षण आयुक्त की होगी

शिक्षकों का कहना है कि जब तक हर स्कूल में पुख्ता नेटवर्क बिजली और तकनीकी सहायता सुनिश्चित नहीं की जाती तब तक ई-अटेंडेंस जैसी व्यवस्था अव्यवहारिक है और इसे लागू करना शिक्षक को अपराधी की तरह देखने जैसा है शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में विश्वास और सम्मान के साथ सुधारों की आवश्यकता है ना कि अविश्वास और निगरानी की जंजीरों से बांधने की

सरकार को यह समझना होगा कि शिक्षा की गुणवत्ता मोबाइल स्क्रीन से नहीं बल्कि शिक्षक और विद्यार्थी के बीच बने उस रिश्ते से सुधरती है जो समर्पण और भरोसे पर आधारित होता है अगर शिक्षक को सुबह से शाम तक एप और मोबाइल की कैद में रखा जाएगा तो वह समाज निर्माता नहीं एक सिस्टम का गुलाम बनकर रह जाएगा

यह वक्त है सोचने का कि क्या हम शिक्षा सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं या शिक्षकों को नियंत्रित करने की होड़ में उस नींव को ही हिला रहे हैं जिस पर पूरा भविष्य टिका है

Vijay Vishwakarma

Vijay Vishwakarma is a respected journalist based in Bhopal, who reports for Goodluck Media News. He is known for his exceptional reporting skills and extensive knowledge of the region. With a keen eye for detail and a passion for uncovering the truth, he has earned a reputation as a reliable and trustworthy source of news.

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