हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिएइस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिएसिर्फ हंगामा करना मेरा मकसद नहींमेरी कोशिश है की ये सूरत बदल चाहिए

मध्य प्रदेश कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एवं नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम के प्रांतीय संयोजक ठाकुर संतोष सिंह दीक्षित ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने संपूर्ण देशभर में जीएसटी की दरे कम करदी है देश के बड़े-बड़े बिजनेसमैन व्यापारियों को राहत प्रदान कर दी आम जनता को राहत प्रदान कर दी उसके लिए माननीय प्रधानमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार धन्यवाद लेकिन देश के एक करोड़ एनपीएस धारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन लागू कर कब राहत प्रदान करेंगे पूछता है देश का एक करोड़ एनपीएसधारी कर्मचारी अधिकारी हम भी इस भारत देश के अंग है लोकतंत्र का हिस्सा है आप हमें क्यों नहीं राहत देते हैं जबकि नेता लोग जो चुनाव जीतने पर पुरानी पेंशन लेते हैं वह भी हर बार चुनाव जीतने पर अलग से कई पेंशन लेते हैं वह कोई दूसरे ग्रहण के प्राणी है क्या जो कर्मचारी की पुरानी पेंशन लागू करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार आनाकानी कर रही है एक कर्मचारी 30 से 40 साल सेवा करता है उसके बावजूद वह पेंशन का हकदार कैसे नहीं जहां शपथ लेते ही अर्थात एक ही दिन की सेवा के बदले नेता पुरानी पेंशन का हकदार हो जाता है यदि वह समानांतर सेवा करता है अर्थात 25 से 30 साल लगातार चुनाव जीतता है तो हर पद के लिए अलग पेंशन के हिसाब से 5 से 6 पेंशन लेते हैं यह तो बड़े गजब की सेवा है तो फिर कर्मचारियों की सेवा को क्या नाम दें संयुक्त मोर्चा के जिला अध्यक्ष डॉ अशफाक खान, संयोजक धर्मेंद्र चौक से, अनिल बाविस्कर, विजय राठौड़, राजेश साल्वे, राजेश पाटील, अनिल सातव ,श्रीमती प्रमिला सगरे, कल्पना पवार , सदानंद कापसे, अनिल सातव, श्रीमती ज्योति पाटिल, संतोष दलाल कैलाश निगम मोहम्मद मियां, ठाकुर अरविंद सिंह हीरालाल प्रजापति नंदूबरी, योगेश साव कारे , सीमा डेविड आदि का कहना है कि हम केंद्र सरकार, राज्य सरकार से पूछना चाहते हैं जब कर्मचारी नौकरी सरकार की करता है तो फिर उसे पेंशन के लिए शेयर बाजार के हवाले क्यों कर दिया जाता है और यदि यह इतना बेहतर है तो फिर वह नेता लोग अपने आप को क्यों नहीं पुरानी पेंशन में रखते हुए क्यों भूल जाते हैं की गलती से कर्मचारियों की माली हालत नेताओं से भी समृद्ध नहीं हो सकती इसलिए केंद्र सरकार राज्य सरकार है को हठधर्मिता छोड़ कर्मचारियों को इस पुरानी पेंशन में रखें जिसमें उसने खुद के नेताओं को रख रखा है हम कोई भीख नहीं मांग रहे हैं यह कर्मचारी का संवैधानिक अधिकार है या फिर खुद भी बड़ा दिल दिखाते हुए नई पेंशन में आ जाए और कर्मचारियों की तरह नई पेंशन प्राप्त करें तब समझ में आ जाएगा पुरानी पेंशन और नई पेंशन क्या होती है सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए ऐसा हमारा निवेदन है