शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली द्वारा “चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन आज अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल मे किया

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली द्वारा “चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 9 से 11 जुलाई 2025 तक किया जा रहा है। कार्यशाला के प्रथम दिवस का शुभारंभ विश्वविद्यालय के माननीय कुलगुरु प्रो. खेमसिंह डहेरिया, मुख्य अतिथि डॉ. चांद किरण सलूजा, अकादमिक निर्देशक, संस्कृत संवर्धन प्रतिस्थानम, विशिष्ट अतिथि श्री ओम शर्मा, राष्ट्रीय संयोजक, आत्मनिर्भर भारत व डॉ. भरत व्यास, प्रांत संयोजक, मध्य भारत चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व विकास तथा विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष एवं प्रभारी कुलसचिव डॉ. राजीव वर्मा द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण करके किया गया। इस अवसर पर श्री दिनेश दवे जी, श्री सुरेश गुप्ता जी एवं शिखा सिंह चौहान जी भी उपस्थित रहे।

कार्यशाला में मुख्य वक्ता श्री अतुल कोठारी जी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली ने अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश एवं आनंदमय कोष की व्याख्या की और कहा कि इन पांचो कोशों के समन्वय से ही मनुष्य का जीवन संचालित होता है। इन पांचों कोशों का केंद्र मनोमय कोश है जिसके समन्वय से सभी कोश अपना अपना कार्य करते हैं। इस विषय को व्यावहारिक रूप से अधिक स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कि ॐ का उच्चारण अधिक बार करने से उन्हें आत्मिक शांति, एकाग्रता व अपने अंतर में देखने का दृष्टिकोण प्राप्त होता है।

कार्यशाला में मुख्य अतिथि डॉ. चांद किरण सलूजा जी ने अपने व्याख्यान में कहा कि प्राय: कार्यशाला में शिक्षकों की उपस्थिति ज्यादा होती है परंतु यहां पर विद्यार्थियों की उपस्थित अधिक है जो अत्यंत प्रसन्नता का विषय है क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों हेतु ही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का 80% क्रियान्वयन विद्यार्थियों व शिक्षकों द्वारा ही किया जाना है। हमारे छात्रों में असीमित शक्ति है। उस शक्ति को पहचान जाना चाहिए। शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न्याय संगत और न्याय पूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए मूलभूत आवश्यकता है। साथ ही डॉक्टर सलूजा ने कहा कि नए ज्ञान के निर्माण हेतु शोध आवश्यक है जिस प्रकार पश्चिमी सभ्यता में फोर पिलर्स आफ एजुकेशन हैं वो दरअसल भारतीय ज्ञान परंपरा से लिए गए हैं। भारत में ज्ञान हेतु शिक्षा, क्रिया हेतु शिक्षा, सहयोगी शिक्षा तथा मनुष्य बनने की शिक्षा देने की परंपरा रही है। आपने अपने वक्तव्य में इस त्रिदिवसीय कार्यशाला के पंचकोश अवधारणा’ के रूप में प्रतिस्थापित ‘पंचकोश’ विषय पर विषद चर्चा की। आपने पंचकोश के अवधारणात्मक स्वरूप पर विद्यार्थियों के साथ वाद-संवाद शैली में अपने विचारों को सम्प्रेषित किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रोफेसर खेमसिंह डहेरिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति और दर्शन का विश्व में बड़ा प्रभाव रहा है। वैश्विक महत्व की इस समृद्ध धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखने की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा व्यवस्था पर शोध कार्य होने चाहिए और इसे समृद्ध किया जाना चाहिए तथा नए-नए प्रयोग भी सोच जाने चाहिए। इस शिक्षा व्यवस्था ने अनेक विद्वानों को जन्म दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान व विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गई है। प्रो. डहेरिया ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए बताया कि वह किस प्रकार अपने जीवन में चरित्र का विकास करके सफलता के आयाम छू सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला मुख्यतः विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों हेतु आयोजित की गई है। कार्यशाला तीन दिन तक चलने वाली है इसलिए आप लोग इस कार्यशाला में शरीर व मन से उपस्थित रहकर इसका लाभ लें।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि श्री ओम शर्मा ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का विस्तृत परिचय देते हुए कहा कि न्यास सदैव ही विद्यार्थियों को संपूर्ण शिक्षा देने के प्रति समर्पित रहा है । न्यास भारतीय चिंतन का पूर्ण रूप से समर्थन करता है। आज का युवा भारतीय चिंतन के माध्यम से ही आगे बढ़ सकता है लेकिन आज भी हम औपनिवेशिक भाषा की ओर प्रभावित होते हैं जबकि हमें अपनी मातृभाषा की ओर जाना चाहिए। हमारी शिक्षा मातृभाषा में होना चाहिए।
कार्यशाला के प्रथम दिवस के अंत में विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष एवं प्रभारी कुलसचिव डॉ. राजीव वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम नई शिक्षा नीति का विस्तार पूर्वक अध्ययन करके उसे ग्रहण करेंगे। इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बड़ी मात्रा में विद्यार्थी एवं सभी शिक्षकों की उपस्थिति रही। विश्वविद्यालय में यह कार्यशाला 11 जुलाई तक आयोजित की जाएगी।