प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारियों(OSD) यो के भरोसे उच्च शिक्षा सतपुड़ा भवन आयुक्त कार्यालय एवं उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय yahi चला रहे
उच्च शिक्षा सतपुड़ा भवन आयुक्त कार्यालय एवं उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय सचिवालय वल्लभ भवन में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारियों जो कि अकादमिक पद के हैं के द्वारा प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप एवं मनमर्जी से लिए जा रहे निर्णयों का खामयाजा माननीय उच्च न्यायालय में विभागीय उच्चाधिकारी आयुक्त निशांत वरवड़े एवं अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन जी जो कि प्रशासनिक सेवा से हैं

जिन्होंने प्रशासनिक सेवा प्रशासनिक नियमों की परीक्षापास कर एवं विशेष ट्रेनिंग प्राप्त कर प्रशासनिक कार्यों को नियमानुसार संचालित करने हेतु संबंधित पदभार संभाला परंतु एकेडमिक पदों के ओएसडी जो सतपुड़ा भवन में पदस्थ हैं
जहां की सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन स्तर पर नियमानुसार ओएसडी का एक ही पद स्वीकृत है परंतु दर्जनों ओएसडी जो एकेडमिक पद से कोई प्रोफेसर कोई सहायक प्रोफेसर के पद पर हैं, सतपुड़ा भवन में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं एवं दशकों से पदस्थ हैं तथा जूनियर होते हुए भी अपने वरिष्ठ विभागीय मूल पद पर पदस्थ प्राचार्य क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालकों को निर्देशित कर रहे हैं यह भी एक विभागीय विडंबना ही है तथा नियमों को अनदेखा करते हुए किए जा रहे नियम विरुद्ध कृत्यों में एक जुट होकर सामूहिक रूप से किए जा रहे भ्रष्टाचार से भी इनकार नहीं किया जा सकता इसके प्रत्यक्ष प्रमाण पूर्व में भी खबरों के रूप में प्रकाशित किए जाते रहे हैं
जिस पर उक्त उच्च अधिकारियों द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया निजी विश्वविद्यालयों का शुल्क निर्धारण इन्हीं प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है नियम विरोधी तरीके से तथा झुंडपुरा जैसे कॉलेज की मान्यता संबंधी फाइल भी इन्हीं अधिकारियों द्वारा चलाई जाकर अनुमतियां प्रदान की गई तथा एमपी ऑनलाइन में हुए भ्रष्टाचार के प्रमाण दिए जाने के उपरांत तथा संबंधित जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगे जाने पर संपूर्ण फाइल को ही लापता कर दिया गया यह कृत्य इन्हीं अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे हैं जो यही लोग सूचना अधिकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी सहित मान्यता संबद्धता संबंधी शाखों को भी संचालितकर रहे हैं छात्र हितों से खिलवाड़ सहित शिक्षा के व्यवसायीकरण एवं शासकीय राशि के दुरुपयोग संबंधी भ्रष्टाचार से इंकार नहीं किया जा सकता प्रमाण सहित तथात्मक शिकायत विभागीय उच्च अधिकारियों को दिए जाने के उपरांत भी किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही इन्हीं प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अधिकारियों के संरक्षण एवं सहयोग के कारण नहीं हो पा रही हैं। यहां पूर्व में पदस्थ आईएएस अधिकारी श्री आशीष उपाध्याय जी के कार्यकाल में इन भ्रष्टाचारियों की हिम्मत नहीं होती थी किसी भी प्रकार के अवैध एवं भ्रष्टाचार युक्त कृत्य करने की ऐसे ही अधिकारियों की आवश्यकता उच्च शिक्षा विभाग को है। यहां एक बात और स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक है कि पूर्व में भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा एक पत्र जारी किया जा चुका है कि एकेडमिक पद के व्यक्ति जो प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं
उनके द्वारा प्रशासनिक कार्य किया जाना नियम अनुसार एवं विधि संगत नहीं है अतः अकादमिक पद के व्यक्तियों द्वारा प्रशासनिक कार्य न किया जावे परंतु उसे आदेश को भी अमान्य करते हुए विधि विरुद्ध एवं नियम विरोधी कृत्य धड़ल्ले से किये जा रहे हैं।
अब यह तो आयुक्त निशांत वरवड़े एवं अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन जी को ही संज्ञायान लेना है