महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों की शुल्क निर्धारण उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन किस नियम के तहत कर रहा है इस सवाल पर विभागीय अधिकारियों की चुप्पी संदेहात्मक
मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग में पदस्थ विशेष कर्तव्यस्त अधिकारी (osd) अनिल पाठक, धीरेंद्र शुक्ला ,आर के गोस्वामी एवं अन्य के द्वारा पद का दुरुपयोग कर नियमों से खिलवाड़ करते हुए महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा किए जा रहे नियम विरुद्ध कृत्यों एवं छात्रहित से खिलवाड़ कर आर्थिक अनियमिताएं एवं भ्रामक तथा गुमराह पूर्वक दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति योजना का लाभ लेते हुए शासकीय राशि का दुरुपयोग करने के कृत्य किए जा रहे हैं
जिसमें उक्त विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारियों के प्रत्यक्ष रूप से संलग्न होकर सहयोग एवं संयुक्त रूप से भ्रष्टाचार करने के प्रमाण हैं जो पत्र दिनांक 20/11/2023 एवं पत्र दिनांक 20/03/2025 आर के गोस्वामी द्वारा हस्ताक्षरित हैं तथा नस्ति एवं अन्य शासकीय दस्तावेजों में स्पष्ट उल्लेख है कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय पर कार्रवाई करने का अधिकार उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन को नहीं है ऐसा कथन तत्कालीन क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक जबलपुर संभाग श्रीमती लीला भलावी सहित विश्वविद्यालय प्रबंधन एवं अन्य अधिकारियों द्वारा उल्लेख किया जाता है तो फिर विश्वविद्यालय की शुल्क निर्धारण करने का अधिकार उच्च शिक्षा विभाग सतपुड़ा भवन के उक्त अधिकारियों को किस नियम से हैं
सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगे जाने पर भी सूचना के अधिकार कानून का प्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट उल्लंघन करते हुए किसी प्रकार की जानकारी संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते तथा गुमराह पूर्वक दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं प्रथम अपील अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होने पर तथ्यात्मक जानकारी देने पर भी किसी भी प्रकार के कोई भी दस्तावेज जो सुसंगत दस्तावेज हों संबंधित दस्तावेज पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं कराए जाते वहीं दूसरी तरफ बिना नियम के तथा जो नियम है उनको तोड़ मरोड़ कर गुमराह पूर्वक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय प्रबंधन को नियम विरुद्ध तरीके से फायदा पहुंचाया जा रहा है एवं संरक्षण दिया जा रहा है जिसका दुष्परिणाम छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ तथा शिक्षा नीति का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में भारी भ्रष्टाचार उक्त संबंधित समस्त भ्रष्टाचारियों द्वारा किया जा रहा है ,
क्या उच्च शिक्षा विभाग के उच्चअधिकारियों में इतना बुद्धि विवेक भी नहीं है कि की गई प्रमाण सहित तथ्यात्मक बिंदुवार शिकायतें जो छात्रों एवं जनप्रतिनिधि विधानसभा सदस्य द्वारा की गई शिकायतों को प्रत्यक्ष रूप से अनदेखा कर उक्त समस्त नियम विरुद्ध कृत्य कर रहे हैं
क्या सरकार पूर्ण रूप से सोई हुई है इसकी जिम्मेदारी किसकी है आखिर शिक्षा जैसे क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से नियम विरुद्ध कृत्यों को क्यों अनदेखा किया जा रहा है
भौतिक निरीक्षण सहित जांच क्यों नहीं की जा रही है माननीय उच्च न्यायालय में उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन अपना पक्ष एवं स्थगन आदि जो की विगत लगभग 15 वर्षों से अधिक समय से हैं उनको निरस्त करने हेतु कोई कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा है । क्या यह नियमों का उल्लंघन एवं छात्र से खिलवाड़ नहीं है तथा जिस विश्वविद्यालय का स्टेटस आज दिनांक तक तय ही नहीं है जिससे संबंधित प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में विगत 10 वर्षों से लंबित है उसके निराकरण हेतु सरकार एवं उच्च शिक्षा विभाग गंभीरतापूर्वक कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा है एवं स्थगन आदेश के हो रहे दुरुपयोग को क्यों नहीं रोक रहा है क्या स्थगन आदेश मनमर्जी अनुसार परिभाषित एवं उपयोग करते हुए कार्रवाई करने हेतु नियमानुसार उचित है,क्या विधि अनुसार उचित है कभी निजी विश्वविद्यालय तो कभी शासकीय विश्वविद्यालय की श्रेणी में उक्त स्थगन आदेश का दुरुपयोग किया जा रहा है जिसका पूर्ण रूप से उत्तरदायित्व उच्च शिक्षा विभाग का है
आखिर इस भ्रष्टाचार को कब और कौन रोकेगा, शासन का एवं सरकार का कार्य है संपूर्ण कार्यवाही निष्पक्ष भावना से एवं सार्वजनिक रूप से करते हुए समाज में एवं छात्रहित में आवश्यक है उक्त संबंध में,
जब अनिल पाठक सीसीसेल प्रभारी मंत्रालय एवं विश्वविद्यालय शाखा प्रभारी मंत्रालय में पदस्थ हैं से बात की गई तो उनका स्पष्ट कहना है कि धीरेंद्र शुक्ला मेरा दोस्त है और उसके विरुद्ध में किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाही किसी के भी कहने पर नहीं मैं करूंगा और ना ही किसी को भी करने दूँगा तो क्या दोस्ती भारतीय संविधान एवं नियमों से बड़ी है उच्च शिक्षा विभाग आखिर किस आधार पर संचालित है अभी तय करना होगा क्या उच्च शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन चुका है कोई भी अधिकारी कार्यवाही हेतु जांच हेतु जिम्मेदारी नहीं लेता परंतु भ्रष्टाचार करने के लिए तत्पर रहते हुए .
महर्षि महेश योगी वाले विश्वविद्यालय प्रबंधन को फायदा पहुंचाने के लिए आर के गोस्वामी ओ एस डी सतपुड़ा भवन नियमों से खिलवाड़ करते हुए कार्यालय आयुक्त अनुसूचित जाति विकस राजीव गांधी भवन 35 श्यामला हिल्स भोपाल म.प्र., संयुक्त संचालक सुधीर कुमार जैन के पत्र क्र. जि 1/क्र. 05/2023-24/399 भोपाल दिनांक 20.11.2023
.- महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय करौन्दी प्रबंधन द्वारा पत्र दिनांक 25.11.2024 एवं उच्च शिक्षा विभाग विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी के पत्र दिनांक 25.03.025
अन्य शासकीय विभागों को पत्राचार करने हेतु तुरंत कार्रवाई कर देता है तत्काल प्रभाव से कार्यवाही कर देता है। जब आर के गोस्वामी से उक्त पत्र के संबंध में जानकारी ली गई तो गोस्वामी जी ने कहा कि उन्होंने कोई पत्र जारी नहीं किया ये भ्रष्टाचारयुक्त रवैया किस नियम के तहत अपनाया जा रहा है यह स्वयं सघन जाँच का बिंदु है जिस पर उच्च अधिकारियों का गंभीरतापूर्वक कार्यवाही करना छात्रहित में अतिआवश्यक है।
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