राज्य सूचना आयोग ने TEQP-lll राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से 8000 पेज आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र प्रताप सिंह को दिलाए

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का नाम तो आपने सुना होगा है वह सुर्खियों में किसी न किसी वजह से बना ही रहता है पूर्व वर्षों में भी आपको पता ही होगी होगा कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कितने घोटाले हुए.
चाहे वह फर्जी मार्कशीट का मामला हो या पैसे देकर पास करने का मामला हो या पेपर लीक करने का मामला हो जिसकी आज दिनांक तक राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के द्वारा FIR नहीं कराई गई है
आपको याद तो होगा कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में रजिस्टर और vc के द्वारा भ्रष्टाचार किया था जिसके बाद लोकायुक्त ईओडब्ल्यू और कई एजेंसी ने उनके ऊपर कारवाई की गई थी
अब ताज़ा मामला में आपको बताता हूं कि आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र सिंह के द्वारा आरटीआई से राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से से दस्तावेज चाहे गए थे परंतु राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के द्वारा दस्तावेज नहीं दिए गए थे लोक सूचना अधिकारी के द्वारा भी दस्तावेज नहीं दिए गए और अपील अधिकारी के द्वारा भी दस्तावेज नहीं दिया.
जिसके बाद देवेंद्र सिंह के द्वारा राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया गया,राज्य सूचना आयोग मे पेशी आज दिनांक को थी जिसके बाद देवेंद्र सिंह को 8000 प्रश्न आज दिए गए हैं जैसा हमें उनके द्वारा फोन पर बताया गया है
अब जिस भी किसी व्यक्ति को राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कागज चाहिए तो आप देवेंद्र सिंह से मांग सकते हैं देवेंद्र सिंह के द्वारा एक फोटो भी भेजा गया है
जिसमें उनकी स्कूटी पर 8000 पृष्ठ राज्य सूचना आयोग द्वारा जो दिलवाए गए हैं वह साफ-साफ देख रहा है अब देखना है

यह है कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार की जान और कितनी खुलता है हम आपको बता दें कि वर्तमान में भी जो आरटीआई का कार्य करते हैं उनके द्वारा आरटीआई लगाई गई है परंतु राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से आईटीआई के जवाब नहीं दिए जाते काफी समय से लंबित रखे जाते हैं वही हम आपको बता दें की नौकरी करते हुए यूपीएचडीबी अवार्ड लोग कर लेते हैं वहीं के एक श्रीवास्तव जी भी हैं जो नौकरी करते-करते पूर्व राष्ट्रपति से अपनी पीएचडी की उपाधि ली है कहीं ना कहीं यह गलत है और भी हम खुला से करेंगे जिसमें नियुक्तियों का मामला है फर्जी नियुक्तियों के आधार पर भी अभी लोग कार्य कर रहे हैं अब देखना यह है कि रजिस्टर और बी क्या कदम उठाते हैं वही हम आपको बता दें कि सूत्रों से हमें जानकारी प्राप्त हुई है कि यह जो राज्य सूचना आयोग के द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट देवेंद्र सिंह को जो दस्तावेज दिए हैं लोक सूचना अधिकारी और अपीली अधिकारी उन्होंने रात भर उस पर सिग्नेचर किए हैं