सेंट जोसेफ गर्ल्स स्कूल में एक ही दिन में 1419 बच्चों को लगा जैपनीज इन्सेफेलाइटिस टीका

स्कूलों में जैपनीज इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण निरंतर जारी
सेंट जोसेफ गर्ल्स स्कूल में एक ही दिन में 1419 बच्चों को लगा टीका

भोपाल: 08 अप्रैल 2024 जैपनीज इनसेफेलाइटिस टीकाकरण अभियान के तहत जिले के सभी स्कूलों में टीकाकरण निरंतर जारी है। कार्यक्रम में 1 साल से 15 साल तक की उम्र के बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं । भोपाल में एक लाख से अधिक बच्चों को ये टीका लगाया जा चुका है। अभियान के तहत निजी एवं शासकीय स्कूलों में बच्चों द्वारा उत्साहपूर्वक टीका लगवाया जा रहा है। अभियान के तहत सोमवार को ईदगाह हिल्स स्थित सेंट जोसेफ गर्ल्स स्कूल में एक ही दिन में 1419 बच्चों को टीका लगाया गया। 27 फरवरी से शुरू किए गए इस अभियान के तहत 3200 से अधिक टीकाकरण सत्र आयोजित हो चुके हैं। शहरी क्षेत्रों में 73 हजार एवं ग्रामीण इलाकों में 35 हजार बच्चों को टीका लग चुका है। यह टीका बच्चों को घातक जैपनीज इनसेफेलाइटिस बीमारी से बचाव के लिए लगाया जा रहा है। भोपाल में अनुमानित 9 लाख बच्चों को टीके लगेंगे। स्कूलों के अलावा जिले की 28 शासकीय एवं निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में यह टीका प्रतिदिन लगाया जा रहा है।

कलेक्टर द्वारा इस महत्वपूर्ण अभियान की जानकारी अभिभावकों तक पहुंचाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया गया है। इसके साथ ही पुस्तक विक्रेताओं को पैम्फलेट भी दिए गए हैं, जो कि अभिभावकों को किताबें लेने के दौरान दिए जा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को इस घातक और जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका अवश्य लगवाएं। यह टीका कई राज्यों में पहले से ही लगाया जा रहा है और पूरी तरह से सुरक्षित और कारगर है। शासन द्वारा यह टीका नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस वैक्सीन का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है। जापानी इंसेफेलाइटिस एक प्राणघातक बीमारी है। संक्रमण के बाद विषाणु व्यक्ति के मस्तिष्क एवं रीढ़ की हड्डी सहित केंद्रीय नाड़ी तंत्र में प्रवेश कर जाता है। इस बीमारी के अधिकांश मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। गंभीर मामलों में सिर दर्द व ब्रेन टिशूज की सूजन (इंसेफेलाइटिस) की समस्या हो सकती है, अन्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, कपकपी, उल्टी, तेज बुखार, गर्दन में अकड़न हो सकती है। पीड़ित व्यक्ति को झटके भी आ सकते हैं। उपचार नहीं करवाने पर मृत्यु भी हो सकती है। जिनकी जान बच जाती है उनमें से भी 30 से 50% प्रकरणों में Residual sequelae (अवशिष्ट अनुक्रम) रह सकती है।