2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ है। कैग की यह रिपोर्ट वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत की
सीएजी ने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक परियोजना को लेकर भी अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा गया है कि सरकार ने नर्मदा का पानी क्षिप्रा में छोड़ कर इसे एक बारहमासी नदी में बदलने की कोशिश की। रिपोर्ट में लिखा कि सरकार अपने इस लक्ष्य से पूरी तरह से भटक गई। साथ ही क्षिप्रा को साफ करने के लिए सरकार के प्रयासों को भी नाकाफी बताया है।
वही 7 जनवरी को उज्जैन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने क्षिप्रा को सतत प्रवाह मान बनाए रखने के लिए एक नया प्राधिकरण बनाने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि इस प्रयास से सिंहस्थ 2028 और भी सुंदर हो जाएगा। लेकिन एक दिन बाद ही विधानसभा में पेश सत्र की रिपोर्ट ने अब तक की सरकारी कोशिशों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसके अलावा कैग ने पीएचई और वन विभाग की योजनाओं पर भी सवाल उठाए हैं।
कैग ने जो रिपोर्ट पेश की है, उसके मुताबिक मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के सिंगाजी पावर प्लांट के निर्माण 2009 से लेकर 2021 तक संचालन के दौरान नियमानुसार ठेकेदार को देरी के कारण कोयले के स्टॉक में कमी की वजह से बड़ा नुकसान हुआ है। प्लांट के निर्माण में देरी की वजह से बिजली की कमी को पूरा करने के लिए प्राइवेट सेक्टर से महंगी बिजली खरीदी गई।
सीएजी ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधीन जल निगम द्वारा चलाई जा रही 58 योजनाओं में से 18 की जांच की। इसमें सामने आया कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में गलत व्यय, गलत प्राक्कलन, गांव के सभी घरों को शामिल नहीं करने, ओवर हेड टैंक बनाने के लिए गलत दर पर काम देने और ठेकेदार से अतिरिक्त बैंक गारंटी प्राप्त करने में लापरवाही के कारण सरकार को 283 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
कैम्पा फंड में अनियमिताएं, 364 करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक कैंपा फंड के अंतर्गत वनीकरण के लिए गलत स्थान का चयन और खरपतवार उन्मूलन पर अनुचित व्यय किया गया है। इससे 364 करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान हुआ है। बताया गया है कि कैग ने 2017-18 से 2019-20 के बीच 17 वन मंडलों की जांच की थी। जिसमें वन भूमि के डायवर्जन में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने, डायवर्ट वन भूमि के उपयोग में अनियमितता, प्राधिकार के बिना वन भूमि का अनियमित डायवर्जन सहित कई तरह की गड़बडिय़ा सामने आई हैं।
सिंगाजी पावर प्लांट को लेकर कैग की रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी ने ठेकेदार को अग्रिम भुगतान में देरी की जिससे मप्र विद्युत नियामक आयोग ने निर्माण अवधि का ब्याज एवं आकस्मिक व्यय की राशि 215 करोड़ रुपए का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।
कंपनी ने प्लांट की यूनिट के शुरू होने की तारीख से काफी पहले जल आपूर्ति एग्रीमेंट कर 67 करोड़ का गैरजरूरी भुगतान किया।
कंपनी ने प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की, समय पर फ्यूल लिंकेज की अनुमति नहीं ली जिससे 120 करोड़ रुपए छोडऩा पड़े।
कंपनी ने प्लांट के संचालन के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं जुटाई। ऐसे में उत्पादन नुकसान के अतिरिक्त 1055 करोड़ रुपए स्थायी लागत की वसूली नहीं हुई।
निर्धारित समय पर परियोजना पूरी नहीं होने के कारण महंगी दरों पर बिजली खरीदने में 102 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा।