RGPV मैं हुए घोटाले को लेकर एसआईटी जांच कर रही है क्या C. k.माहेश्वरी के 165 करोड़ के घोटाले की जांच होगी जो आज रिटायर हो रहे

RGPV मे 19.48 करोड रुपए का घोटाला तो कम है 1500 करोड रुपए का घोटाला सामने आ सकता है जब से RGPV बना है तब से अगर SIT जांच करें तो
सी के महेश्वरी को एक घोटाले की जांच के चलते यू.आई.टी राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पदस्थ कर दिया गया था
(जोकि 165 करोड रुपए भवन निर्माण के भुगतान का मामला है)

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शासन ने लेखा शाखा के चार कर्मचारियों को निलंबित करने का निर्णय आदेश जारी किए गए हैं परंतु क्या इस घोटाले के लिए क्या यही चार दोषी हैं
लेखा शाखा के कर्मचारियों को यह नहीं मालूम कि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के किस-किस बैंक में कितने-कितने खाते हैं
उनमें कितनी राशि जमा है वह किस खाते से कितनी FD जमा करवाई गई है लेखा शाखा की इस हालत या व्यवस्था के लिए क्या वह अधिकारी और कर्मचारी दोषी नहीं है
जो राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बनने से पहले तिलहन संघ से प्रति नियुक्ति पर आकर पदस्थ हुए थे और अपने आप को लेखा शाखा का महान ज्ञाता बताते हैं इनमें मनोज जैन, सेवानिवृत्ति सहायक सचिव और सी के माहेश्वरी सहायक सचिव का नाम क्यों नहीं लिया जा रहा इनके द्वारा भी काफी भ्रष्टाचार किया गया है
वही हमारे सूत्रों से जो जानकारी प्राप्त हुई है जो सी. के.महेश्वरी सहायक सचिव राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय इनका नाम 165 करोड़ रुपए भवन निर्माण के भुगतान में नाम है इसके बाद इन्हें सस्पेंड कर दिया गया था इन दोनों के कार्यकाल की भी भोपाल पुलिस के द्वारा जो एसआईटी गठित की गई है उसको जांच करनी चाहिए.
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जब बना था तब उसके प्रथम VC पी.बी शर्मा जी थे लेखा शाखा के वर्तमान में जो व्यवस्था चल रही है उसको बनाया सी. के.महेश्वरी और मनोज जैन इन दोनों ने है
इन दोनों ने मनमाने तरीके से लेखा शाखा की कार्य प्रणाली बनाई, जो आज तक उसी के अनुरूप चलती आ रही है
सी के महेश्वरी को एक घोटाले की जांच के चलते यू.आई.टी राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पदस्थ कर दिया गया था (जोकि 165 करोड रुपए भवन निर्माण के भुगतान का मामला है) जो अभी भी चल रहा है और उसे निर्माण के पैसे की रिकवरी आज तक नहीं हुई, जो हमें सूत्रों से ज्ञात हुआ
शासन यदि राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के लेखा शाखा के चार कर्मचारियों को निलंबित कर रहा है तो सी के महेश्वरी को भी निलंबित किया जाना चाहिए
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि सी के माहेश्वरी इसी महा सेवा निवृत हो रहे हैं और वर्तमान में व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी इनको दी जा रही है जो पहले से ही 165 करोड रुपए के घोटाले में फंसा हुआ है उसको ही दोबारा?
इनको प्रति नियुक्ति पर या संविदा नियुक्ति दिए जाने की कार्रवाई चल रही है जैसा में सूत्रों से ज्ञात हुआ है
वही हम आपको बता दें कि पूर्व रजिस्ट्रार आर.एस.राजपूत जिनके द्वारा फर्जी तरीके से जो FD बनाई गई है यूनिवर्सिटी के फाइनेंस कंट्रोलर ऋषिकेश वर्मा ने फाइनेंस शाखा के कलर संजय कपड़े से बनवाए थे दोनों चेक पर रजिस्टर राजपूत और फाइनेंस कंट्रोलर वर्मा ने साइन किए थे साथ ही प्राइवेट खाते में 1.99 करोड़ और 8.01 करो रुपए ट्रांसफर किए जाने के चेक और नोट शीट रजिस्टर राजपूत और वर्मा ने अपने पास रख लिए थे इसके लिए रजिस्टर राजपूत ने कुमार मयंक के एक्सिस बैंक भोपाल के अकाउंट को नोट सीट में यूनिवर्सिटी अकाउंट लिखवाया था पूर्व RBLबैंक के मैनेजर मयंक गिरफ्तार हो चुके हैं जिस सीट ने 600 किलोमीटर दूर अहमदाबाद से गिरफ्तार किया था SIT मयंक से पूछताछ कर रही है