भोपाल में एबीवीपी का संघर्ष – मछली कांड पर निर्णायक जीत

भोपाल की छात्राओं की सुरक्षा और सम्मान के मुद्दे पर चल रहे लंबे संघर्ष में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने ऐतिहासिक विजय हासिल की है। बहुचर्चित मछली कांड प्रकरण, जिसमें छात्राओं के साथ छेड़छाड़, ड्रग्स, लव जिहाद और असामाजिक तत्वों की गतिविधियों के गंभीर आरोप सामने आए थे, उस पर प्रशासन को झुकना पड़ा और दोषियों पर कार्रवाई शुरू हुई।
आंदोलन की पृष्ठभूमि
25 अप्रैल 2025 को रायसेन रोड स्थित एक निजी कॉलेज की छात्राओं के साथ हुई घटना के विरोध में परिषद ने आंदोलन की शुरुआत की।
परिषद ने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि “बेटियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा, दोषियों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी।”
29 अप्रैल 2025 को कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने “बेटियों की सुरक्षा दो, अपराधियों को सजा दो” के नारे लगाए। यह आंदोलन सिर्फ प्रदर्शन न होकर जनआंदोलन का स्वरूप ले चुका था।

परिषद की प्रमुख मांगें
- SIT गठित कर दोषियों पर IPC, POCSO और IT एक्ट की धाराओं में कार्रवाई।
- कॉलेज परिसरों में लव जिहाद व ड्रग्स रोकने हेतु विशेष पुलिस टीम।
- कन्या महाविद्यालयों के पास शराब की दुकानों को हटाना।
- छात्राओं की सुरक्षा हेतु पुलिस चौकी और Internal Complaints Committee।
- पूरे प्रदेश में सुरक्षा एवं जागरूकता कार्यक्रम लागू करना। आंदोलन का प्रभाव
लगातार दबाव के बाद मछली परिवार की नींव हिल गई और प्रशासन को NHRC तक मामले की जानकारी देनी पड़ी। 34 दिन की लंबी लड़ाई के बाद भी FIR न होने पर परिषद ने इसे “प्रशासन की विफलता” बताया और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग तेज कर दी।

एबीवीपी की जीत
लंबे संघर्ष के बाद आज यह आंदोलन साबित करता है कि छात्राओं की सुरक्षा और असामाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ाई में एबीवीपी किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
यह संघर्ष केवल मछली कांड के दोषियों की सजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश के लिए एक संदेश है – “बेटियों की सुरक्षा सर्वोपरि है।”
एबीवीपी ने स्पष्ट किया है कि—
“लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। जब तक बेटियों को सुरक्षा और शिक्षा के माहौल में विश्वास नहीं मिलेगा, तब तक परिषद का संघर्ष जारी रहेगा।”