मध्य प्रदेश

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय को 1998 की सूची में किस आदेश के तहत शामिल किया गया

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना एवं संचालन हेतु मध्यप्रदेश विधान सभा में पारित अधिनियम 37 वर्ष 1995 के द्वारा किये जाने के उपरांत मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचना जारी नहीं की गई जिससे, दिनांक तक विश्वविद्यालय का स्टेटस विवादित है।
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के प्रबंधन द्वारा उल्लेख किया जाता है कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय वर्ष 1998 से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा 2(f) के अंतर्गत सूची बद्ध है परंतु वर्ष 1998 से महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय राज्य शासकीय विश्वविद्यालय है, या राज्य निजी विश्वविद्यालय है अथवा केन्द्रीय विश्वविद्यालय है के संबंध में राज्य सरकार के स्पष्ट आदेश एवं राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना प्रस्तुत ही नहीं की जाती है
जिससे यह स्पष्ट हो सके कि सत्र 1998 में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय का स्टेटस निजी विश्वविद्यालय का था या शासकीय विश्वविद्यालय था। जिसके आधार पर संचालन की अनुमति मिली एवं उक्त सूची में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय को राज्य सरकार के किस आदेश पर शामिल किया गया है यह आज दिनांक तक गोपनीय राज बना हुआ है ।
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव अशोक कुमार चौहान द्वारा महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की धारा 3(f) के अंतर्गत सूचीबद्ध होने संबंधी उल्लेख किया गया है।
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना केवल और केवल वेद, योग, ज्योतिष, अगम तंत्र, इतिहास, पुराण एवं संस्कृत के उत्कृष्ट विद्याध्ययन हेतु की गई परंतु विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रोफेशनल, वोकेशनल एवं टैक्नीकल पाठ्यक्रमों का संचालन विधि अनुसार अधिनियम में संशोधन करवाये बिना ही किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के अधिनियम में संशोधन नहीं होने संबंधी तथ्य को विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव बृजकिशोर शुक्ला द्वारा माननीय न्यायालय में भी स्वीकार किया गया।
दिनांक 3 फरवरी, 2017 को सिविल अपील संख्या 1395/2017 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ‘आज की स्थिति” को बनाए रखने के आदेश तथा डब्ल्यू, पी. में माननीय उच्च न्यायालय के आगे के निर्देशों के संदर्भ में है। 8652/2015 (अवमानना मामला सं. 2259/2016) दिनांक 12.04.2017 को प्राप्त हुआ था और यूजीसी के लागू दिशा-निर्देशों के अनुसार, विश्वविद्यालय को शैक्षणिक वर्ष 2017-18 के लिए मुख्यालय करौंदी में ओपन एंड डिस्टेंस मोड के माध्यम से 25 कार्यक्रम करने के लिए मान्यता प्रदान करने का निर्णय लिया गया, जो कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में डब्ल्यू, पी. सं. 8652/2015 के रूप में लंबित मामले के अंतिम निर्णय के अधीन है, यदि आवश्यक हो तो यूजीसी द्वारा आदेश के खिलाफ अपील करने पर कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा।

विश्वविद्यालय को दी गई मान्यता यूजीसी के पत्र में उल्लिखित शर्तों के सख्त पालन और अनुपालन के अधीन है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी पर सरकार को गंभीरता पूर्वक ध्यान देने की आवश्यकता है क्या नियमों का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं, कहीं यह एक और झुंडपुरा तो नहीं है।

Vijay Vishwakarma

Vijay Vishwakarma is a respected journalist based in Bhopal, who reports for Goodluck Media News. He is known for his exceptional reporting skills and extensive knowledge of the region. With a keen eye for detail and a passion for uncovering the truth, he has earned a reputation as a reliable and trustworthy source of news.

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