मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश में सरकारी वाहनों के नाम पर जनता की गाड़ी कमाई लुटाई जा रही

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस आईटी विभाग के अध्यक्ष पुनीत टंडन एवं प्रभारी जेपी धनोपिया ने आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में सरकारी वाहनों के नाम पर जनता की गाड़ी कमाई लुटाई जा रही है। शासकीय नियमों एवं प्रावधानों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए भाजपा सरकार के मंत्रियों का स्टाफ एवं उनके विभागों के अधिकारियों को मिले प्रायवेट वाहनों पर नियम विरूद्ध तरीके से हर माह लाखों रूपये की राशि खर्च की जा रही है।
आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों में विशेष सहायक मंत्री लोक निर्माण विभाग मप्र शासन के वाहन इनोवा क्रमांक एमपी04 बीसी 5587 / एमपी 20 सीई 1001 का भुगतान 90,355/- रू. एक माह में किया गया, जबकि एक गाड़ी इनोवा किस्टा है, दूसरी फॉर्च्युनर वाहन शामिल है। विशेष सहायक मंत्री लोक निर्माण विभाग में गाड़ी नंबर एमपी04 बीसी 7223 का भुगतान एक माह का रू. 96 हजार 617 रू. किया गया है। जबकि यह गाड़ी भी इनोवा किस्टा है, और ये गाडिय़ां आरटीओ की वेबसाईट पर रामनरेश नामक व्यक्ति के प्राईवेट नंबरों पर दर्ज है, जबकि नियमानुसार शासकीय कार्यों के लिए टेक्सी कोटे की गाडी लगाये जाने का प्रावधान निर्धारित है।
आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज बताते हैं कि किस तरह करोड़ों रुपए की लूट हो रही है। इसमें अधिकारी वर्ग भी शामिल है, जो हर महीने 3000 किलोमीटर तक घूम रहे हैं, जबकि निर्धारित पात्रता 1000 किलोमीटर की है। मंत्रियों के आधा दर्जन से ज्यादा वाहन 7000 किलोमीटर से अधिक तक हर माह चल रहे हैं, जिनका भुगतान भी निर्धारित किराये 47245 रू. के बाद अतिरिक्त लगभग 10 रू. प्रतिकिलोमीटर किया गया जा रहा है।
सबसे पहले वित्त विभाग के सर्कुलर पर नजर डालते हैं। वित्त विभाग  के तत्कालीन सचिव द्वारा जारी सर्कुलर हमें उपलब्ध कराया गया है वह वर्ष 2012 का है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि आज भी यही प्रक्रिया लागू है। इसमें शासकीय अधिकारियों को अधिकतम 10 लाख रू. की कीमत वाले वाहनों में चलने की पात्रता है, लेकिन ज्यादातर अधिकारी 20 लाख रू. से ऊपर की गाडिय़ों में चल रहे हैं, वहीं 1000 किलोमीटर प्रतिमाह की सीमा तय है, लेकिन अनुबंध पत्रों में 2000 किलोमीटर रखी गई है। कुछ अनुबंध तो 3000 किलोमीटर के किए गए हैं। वहीं मंत्रियों की बात करें तो मंत्रियों को आवंटित वाहनों के अलावा विशेष सहायक और अवर सचिव के नाम से वाहन आवंटित होते हैं, जिनका उपयोग मंत्री कार्यालय के लिए किया जाना अनुबंध में लिखा गया है।
वहीं जल संसाधन विभाग से मिले दस्तावेज में दो वाहन मंत्री जी और एक वाहन राज्यमंत्री के नाम है, वही एक वाहन अवर सचिव को आवंटित वाहन का उपयोग मंत्री कार्यालय के लिए है, ऐसा अनुबंध में उल्लेख है। अनुबंध अनुसार एक ही कार्यालय में एक कार्यपालन यंत्री 54 हजार रू. गाड़ी का भुगतान करते हैं, वहीं उसी कार्यालय में एक कार्यपालन यंत्री द्वारा 27500 रू. भुगतान किया जाता है। वहीं जल संसाधन विभाग से प्राप्त बिल जिसमें गाड़ी नंबर एमपी04 बीसी 6074 वर्ष 01.01.2022 से 31.01.2022 तक एक माह के लिए 2000 किलोमीटर तक का भुगतान 59448 रू. निर्धारित है, इसके अलावा अतिरिक्त चलने पर 16 रू. प्रतिकिलोमीटर के मान से 4890 किलोमीटर अतिरिक्त चलाकर उसका भुगतान 78240 रू. अतिरिक्त के साथ कुल भुगतान 1037688 रू. किया गया। साथ ही गाड़ी नंबर एमपी09 बीसी 6675 जिसका अनुबंध के अनुसार एक माह का 84520 रू. भुगतान किया गया है। इसी तरह एमपी 04 टीबी 6074  जिसका भुगतान निर्धारित किराये 84520 के साथ अतिरिक्त 1538 किलोमीटर का भुगतान लगभग 19.50 रू. के मान से 29991रू. अतिरिक्त के साथ कुल भुगतान 114511 रू. किया गया, जबकि एक तरफ लोक निर्माण विभाग गाडी अतिरिक्त चलने पर प्रतिकिलोमीटर 9.90 रू. कर रहा है, वहीं जल संसाधन विभाग द्वारा अतिरिक्त चलने पर 16 एवं 19.90 रू. प्रतिकिलोमीटर की दर से भुगतान किया जा रहा है विभागों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार का कहीं न कहीं एक बड़ी जांच का विषय है।
शासन के नियमों और प्रावधानों का खुला उल्लंघन हो रहा है। जनता के पैसे का खुला दुरुपयोग हो रहा है। एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार पर करोड़ों रुपए का करोड़ों रूपयों का कर्ज है, उसके बाद शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा जनता के पैसे का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि फर्जी बिलों के माध्यम से भी करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हो रहा है, जिन अधिकारियों को पात्रता नहीं है उसके बाद भी मनमर्जी से लाखों रुपए महीने का भुगतान कर रहे हैं।
हमारी मांग है कि वाहन आवंटन की पूरी जांच, भुगतान किए गए समस्त बिल-बाउचरों एवं नियमानुसार वाहन लगाए जाने की प्रक्रिया की जांच हो। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो एवं शासन को जो आज तक करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, उसकी भी भरपाई हो एवं पूरे प्रकरण की ईओडब्ल्यू लोकायुक्त से जांच कराई जाए ताकि करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार उजागर हो सके

Vijay Vishwakarma

Vijay Vishwakarma is a respected journalist based in Bhopal, who reports for Goodluck Media News. He is known for his exceptional reporting skills and extensive knowledge of the region. With a keen eye for detail and a passion for uncovering the truth, he has earned a reputation as a reliable and trustworthy source of news.

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