कर्मचारियों की ओर से राज्य शिक्षा केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका क्रमांक 5824/2017 पर सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर ने भी दिनांक 20नवंबर 2024 को दिए अपने फैसले में राज्य शिक्षा केंद्र के फैसले को सही करार दिया। माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की अंकसूचियाँ अमान्य
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय प्रबंधन को उच्च शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी संरक्षण देकर छात्रहित सहित नियमों से खिलवाड़ कर रहे हैं मध्य प्रदेश विधान सभा में पारित अधिनियम 37 अंतर्गत वर्ष 1995 में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय ग्राम करौंदी,में की स्थापना एवं संचालन केवल वैदिक विद्या एवं पद्वति पर आधारित शिक्षा के लिए की गई थी, परंतु विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा नियम विरुद्ध कृत्य किये जाने पर राज्य सरकार द्वारा संशोधन अधिनियम 1999 पारित किया लेकिन कालांतर में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय द्वारा अपने मुख्यालय एवं इसके बाहर संपूर्ण प्रदेश में अधिनियम विरुद्ध अन्य डिप्लोमा,डिग्री पाठ्यक्रम भी शुरू कर दिए। जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा समय—समय पर विश्वविद्यालय को एवं राज्य शासन को भी सूचित किया जाता रहा है कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय द्वारा आफ कैंपस संचालित पाठ्यक्रमों सहित अन्य पाठ्यक्रमों की वैधानिक मान्यता नहीं है। इसी आधार पर मप्र राज्य शिक्षा केंद्र ने दिनांक 28 अगस्त 2017 में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त तीन लेखापाल विनय यादव,प्रियंका मंगल,व पूजा शर्मा की व्यापम द्वारा की गई नियुक्तियां रद्द कर दीं।
इन कर्मचारियों की ओर से राज्य शिक्षा केंद्र के फैसले के खिलाफ दायर याचिका क्रमांक 5824/2017 पर सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय ग्वालियर ने भी दिनांक 20नवंबर 2024 को दिए अपने फैसले में राज्य शिक्षा केंद्र के फैसले को सही करार दिया। माननीय न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की अंकसूचियाँ अमान्य हैं अतः तत्काल पद छोड़ने के आदेश जारी करते हुए याचिका खारिज कर दी।
बावजूद इसके उक्त विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा नियम विरुद्ध कोर्स संचालित कर विद्यार्थियों को भ्रमित किया जा रहा है। राज्य शासन उच्च शिक्षा विभाग ने स्वयं 15 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 1780 के उत्तर में बताया कि महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय अंतर्गत 16145 नियमित व 60 हजार 399 स्वाध्यायी विद्यार्थी अध्ययनरत है। जिन्हें पढ़ाने हेतु मात्र 51 शिक्षक नियुक्त हैं संबंधित जानकारी माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी द्वारा पटल पर रखी गई थी तो क्या विद्यार्थी अनुपात में शिक्षक संख्या नियमानुसार है ।
महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के हजारों विद्यार्थियों के साथ शिक्षा के नाम पर एक बड़ा छलावा निरंतर किया जा रहा है। यह हजारों युवाओं के भविष्य से जुड़ा मामला है। शिक्षा का व्यवसायीकरण किये जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है इसके चलते प्रदेश के युवाओं में आक्रोश है। अत: राज्य सरकार महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की अवैधानिक गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही माननीय उच्च न्यायलय के आदेश के परिपालन में इसकी गहन जांच करें व जनहित में प्रदेश के युवाओं को सार्वजनिक सूचना जारी कर आगाह करे कि वे किसी ऐसी संस्थान के छलावे में न फंसे।